भारत में 113 साल का इतिहास, तूफानों से टकराकर भी खड़ा पंबन ब्रिज- मिला नया रूप

Pamban Bridge: PM नरेंद्र मोदी तमिलनाडु में एक खूबसूरत ब्रिज की सौगात देने जा रहे हैं. भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल ब्रिज, न्यू पम्बन ब्रिज, लगभग पूरा होने वाला है और अप्रैल 2025 तक चालू होने की संभावना है. प्रधानमंत्री मोदी 6 अप्रैल को नए पंबन पुल का उद्घाटन करेंगे. बता दें कि पंबन ब्रिज भारत का पहला समुद्री पुल है जो तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है. बताया जाता है कि इस पुल का निर्माण 1911 में शुरू हुआ और 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया. यह पुल अपने अनोखे डबल-लीफ बेसक्यूल डिज़ाइन के लिए बहुत ही मशहूर है, जिसके उठने की वजह से जहाजों आवागमन होता है.

1964 में आए भयंकर चक्रवात ने इसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था, लेकिन इसकी मरम्मत कर इसे फिर से चालू कर दिया गया है. 2007 में इसे ब्रॉड गेज में बदला गया, जिससे अब भारी ट्रेनों का संचालन लगभग संभव हो गया. अब एक नए पंबन ब्रिज का निर्माण किया गया है. जिसमें वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म जैसी आधुनिक तकनीकें हैं. यह पुल सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार ही नहीं. बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी माना जाता है. इस नई तकनीक की वजह से जहाजों को बिना किसी देरी के रास्ता मिल सकेगा.

काफी संघर्षों से भरी पंबन पुल के बनने की कहानी
पंबन ब्रिज भारतीय रेलवे के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है इस पुल के बनाने की शुरुआत 1870 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने श्रीलंका (तब सीलोन) के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने का फैसला किया, लेकिन कई कारणों से यह योजना लंबे समय तक रुकी रही. आखिरकार, अगस्त 1911 में पुल का निर्माण शुरू हुआ. फरवरी 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया.

ब्रिज में की गई है अनोखी इंजीनियरिंग
इस ब्रिज की कुल लंबाई 2.057 किलोमीटर है और इसमें 143 मजबूत खंभे लगे हैं. इसकी सबसे अनोखी बात इसका डबल-लीफ बेसक्यूल (Scherzer रोलिंग लिफ्ट) स्पैन है. जो इस पुल का वह हिस्सा है, जो जहाजों को गुजरने देने के लिए ऊपर उठाया जाता है. यह अपने समय की शानदार इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण था और आज भी अपनी अनूठी तकनीक की वजह से खास माना जाता है.

भयानक चक्रवात भी नहीं तोड़ सका पंबन ब्रिज
1964 में आए भयानक चक्रवात ने पंबन ब्रिज को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया था. तेज हवाओं और ऊंची लहरों ने पुल के कई हिस्से तोड़ दिए. इंजीनियरों को इसे ठीक करने में काफी मेहनत और समय लगा. पुल के ठीक होने के बाद इसे फिर से चालू कर दिया गया. हर बार यह पहले से ज्यादा मजबूत बनकर खड़ा हुआ.

अब ब्रॉड गेज ट्रैक और वर्टिकल लिफ्ट टेक्नोलॉजी से लैस नया पुल तैयार
2007 में इस पुल के मीटर गेज को ब्रॉड गेज में बदला गया था. जिससे यहां पर भारी ट्रेनें भी आराम से गुजर सकती हैं. हाल ही में इसमें वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म जैसी आधुनिक तकनीकें इस्तेमाल की गई हैं. नया पंबन ब्रिज न केवल आने वाले वर्षों में रेल परिवहन को और सुगम बनाएगा, बल्कि यह भारत की प्रगति और तकनीकी विकास का भी प्रमाण है. यह पुल अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी बना रहेगा.

पंबन ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं, इंजीनियरिंग की क्षमता, संकल्प और संघर्ष की अमर कहानी
113 वर्षों से यह समुद्र की लहरों, भीषण तूफानों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता आ रहा है. लेकिन हर बार पहले से ज्यादा मजबूत बनकर खड़ा हुआ है. यह पुल सिर्फ रेलवे और यातायात का जरिया नहीं.  बल्कि तकनीकी नवाचार, धैर्य और भारत की विकास यात्रा का प्रतीक है

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